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श्रीकृष्ण जन्मभूमि मालिकाना हक मामले में दो और याचिकाएं दाखिल

श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक के मामले में जिला न्यायालय कोर्ट में बुधवार दोपहर बाद दो याचिका दाखिल की गई हैं. इन पर जिला जज की कोर्ट में 3 बजे सुनवाई हुई. इस मामले में अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी.

श्रीकृष्ण जन्मभूमि
श्रीकृष्ण जन्मभूमि
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Published : Nov 11, 2020, 3:46 PM IST

Updated : Nov 11, 2020, 8:08 PM IST

मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक के मामले में जिला न्यायालय कोर्ट में बुधवार दोपहर बाद दो याचिकाएं दाखिल की गईं. ये याचिकाएं तीर्थ पुरोहित महासभा और माथुर चतुर्वेदी परिषद ने दाखिल की हैं. इनमें कहा गया है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में हमें भी पार्टी बनना है. इसमें दोपहर 3 बजे डीजे कोर्ट में सुनवाई हुई. अब इस मामले में अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी.

याचिका के संबंध में जानकारी देते अधिवक्ता.

याचिका में ये कहा है

डीजे कोर्ट में दाखिल की गई दोनों याचिकाओं में प्रार्थी ने लिखा है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं की याचिका पर 18 नवंबर को सुनवाई होनी है. जन्मभूमि मामले में हमें भी पार्टी बनना है, क्योंकि मंदिर-मस्जिद विषय पर विवाद खड़ा हुआ, तो स्थानीय लोगों को भारी नुकसान पड़ेगा. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ठाकुरजी के दर्शन करने के लिए हर साल करोड़ों श्रद्धालु मथुरा आते हैं. इन श्रद्धालु से लाखों लोगों की जीविका चलती है. मंदिर मस्जिद विवाद से कहीं संप्रदायिक माहौल खराब न हो जाए.

याचिका दाखिल
याचिका दाखिल

18 नवंबर को डीजे कोर्ट में होगी सुनवाई

श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. इसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री सहित पांच अधिवक्ताओं ने 25 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में याचिका डाली थी. इसमें श्रीकृष्ण सेवा संस्थान, शाही ईदगाह कमेटी, सुन्नी वक्फ बोर्ड और श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया. कुछ अधिवक्ताओं ने कोर्ट से मांग की है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान को मस्जिद मुक्त मंदिर बनाया जाए. 18 नवंबर को जिला न्यायालय कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर सुनवाई होनी है.

श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना ऐसे हुई

ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनी मल ने इस जगह को खरीदा था. 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय मथुरा आए, तो श्रीकृष्ण जन्मस्थान की दुर्दशा को देखकर व्यथित हो उठे. स्थानीय लोगों ने भी मदन मोहन मालवीय से कहा कि यहां भव्य मंदिर बनना चाहिए. मदन मोहन मालवीय ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को जन्मभूमि पुनरुद्धार के लिए पत्र लिखा. 21 फरवरी 1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई.

12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्रीकृष्ण जन्मस्थान सोसायटी ने किया. 20 जुलाई 1973 को यह जमीन डिक्री की गई. डिक्री रद्द करने की मांग को लेकर अधिवक्ताओं ने कोर्ट में याचिका डाली थी.

माथुर चतुर्वेदी परिषद के अधिवक्ता ने ये बताया
माथुर चतुर्वेदी परिषद अधिवक्ता के राकेश तिवारी ने बताया श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर दो याचिकाएं डीजे कोर्ट में दायर की गई हैं. इस पर दोपहर 3 बजे के बाद सुनवाई होनी है. जन्मभूमि मामले को लेकर हमें भी पार्टी बनना है. हम कोर्ट के समक्ष अपनी बात रखेंगे.

मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक के मामले में जिला न्यायालय कोर्ट में बुधवार दोपहर बाद दो याचिकाएं दाखिल की गईं. ये याचिकाएं तीर्थ पुरोहित महासभा और माथुर चतुर्वेदी परिषद ने दाखिल की हैं. इनमें कहा गया है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में हमें भी पार्टी बनना है. इसमें दोपहर 3 बजे डीजे कोर्ट में सुनवाई हुई. अब इस मामले में अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी.

याचिका के संबंध में जानकारी देते अधिवक्ता.

याचिका में ये कहा है

डीजे कोर्ट में दाखिल की गई दोनों याचिकाओं में प्रार्थी ने लिखा है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं की याचिका पर 18 नवंबर को सुनवाई होनी है. जन्मभूमि मामले में हमें भी पार्टी बनना है, क्योंकि मंदिर-मस्जिद विषय पर विवाद खड़ा हुआ, तो स्थानीय लोगों को भारी नुकसान पड़ेगा. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ठाकुरजी के दर्शन करने के लिए हर साल करोड़ों श्रद्धालु मथुरा आते हैं. इन श्रद्धालु से लाखों लोगों की जीविका चलती है. मंदिर मस्जिद विवाद से कहीं संप्रदायिक माहौल खराब न हो जाए.

याचिका दाखिल
याचिका दाखिल

18 नवंबर को डीजे कोर्ट में होगी सुनवाई

श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. इसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री सहित पांच अधिवक्ताओं ने 25 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में याचिका डाली थी. इसमें श्रीकृष्ण सेवा संस्थान, शाही ईदगाह कमेटी, सुन्नी वक्फ बोर्ड और श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया. कुछ अधिवक्ताओं ने कोर्ट से मांग की है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान को मस्जिद मुक्त मंदिर बनाया जाए. 18 नवंबर को जिला न्यायालय कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर सुनवाई होनी है.

श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना ऐसे हुई

ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनी मल ने इस जगह को खरीदा था. 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय मथुरा आए, तो श्रीकृष्ण जन्मस्थान की दुर्दशा को देखकर व्यथित हो उठे. स्थानीय लोगों ने भी मदन मोहन मालवीय से कहा कि यहां भव्य मंदिर बनना चाहिए. मदन मोहन मालवीय ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को जन्मभूमि पुनरुद्धार के लिए पत्र लिखा. 21 फरवरी 1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई.

12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्रीकृष्ण जन्मस्थान सोसायटी ने किया. 20 जुलाई 1973 को यह जमीन डिक्री की गई. डिक्री रद्द करने की मांग को लेकर अधिवक्ताओं ने कोर्ट में याचिका डाली थी.

माथुर चतुर्वेदी परिषद के अधिवक्ता ने ये बताया
माथुर चतुर्वेदी परिषद अधिवक्ता के राकेश तिवारी ने बताया श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर दो याचिकाएं डीजे कोर्ट में दायर की गई हैं. इस पर दोपहर 3 बजे के बाद सुनवाई होनी है. जन्मभूमि मामले को लेकर हमें भी पार्टी बनना है. हम कोर्ट के समक्ष अपनी बात रखेंगे.

Last Updated : Nov 11, 2020, 8:08 PM IST
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